हेंसी क्रोनिए मैच फिक्सिंग मामले में शुरू में तो बीसीसीआई सेक्रेटरी ने भी कहा था - सब आरोप बकवास
उस दिन भारत में प्राइम टाइम पर हर न्यूज चैनल पर बहस का मुद्दा यही मैच फिक्सिंग था। विश्वास कीजिए- इनमें से ज्यादातर, तब तक, हेंसी क्रोनिए को गलत मानने के लिए तैयार नहीं थे।
दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत में इंटरनेशनल मैच खेलने आए और हेंसी क्रोनिए मैच फिक्सिंग मामले का जिक्र न हो- ये नहीं हो सकता। ये मामला है दक्षिण अफ्रीका के 2000 के भारत टूर का। इन सब सालों में, उस केस पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है। शायद कुछ नया नहीं बचा लिखने के लिए पर ऐसा है नहीं।
आज किसी को ये याद नहीं कि जब इस मैच फिक्सिंग मामले की खबर फ़ैली तो वास्तव में हुआ क्या था? दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत में सीरीज खेलकर लौट चुकी थी।
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वह 7 अप्रैल 2000 का दिन था। दिल्ली पुलिस ने शाम 4 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई अपनी तरफ से एक केस की खबर देने के लिए पर जैसा कि अक्सर होता है- दबी आवाज में ये चर्चा शुरू हो गयी थे कि मामला मैच फिक्सिंग का है। ये सोच सही निकली और पुलिस ने न सिर्फ ये बताया कि वे तो 6 अप्रैल को चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में इस केस की, एफआईआर दर्ज करा चुके हैं- ये भी बताया कि एक गिरफ्तारी हो गई है (राजेश कालरा की) और दक्षिण अफ्रीका की तरफ से इस मैच फिक्सिंग में हेंसी क्रोनिए शामिल हैं। यूं साफ़-साफ़ नाम लिए जाने से हलचल मच गई। स्पष्ट है साफ़ तौर नाम लेने से पहले पुलिस ने अपना होम वर्क अच्छी तरह से किया होगा। सबूत के तौर पर, पुलिस ने बुकी संजय और हेंसी क्रोनिए के बीच बात-चीत की ट्रांसक्रिप्ट भी जारी कर दी।
उस दिन भारत में प्राइम टाइम पर हर न्यूज चैनल पर बहस का मुद्दा यही मैच फिक्सिंग था। विश्वास कीजिए- इनमें से ज्यादातर, तब तक, हेंसी क्रोनिए को गलत मानने के लिए तैयार नहीं थे। पुलिस के इतने बड़े दावे पर भरोसा करने वाले कम थे। जहां एक ओर दक्षिण अफ्रीका के सीनियर जर्नलिस्ट ट्रेवर चेस्टरफील्ड ने कुछ घंटे बाद, चिल्लाना शुरू कर दिया कि जारी ट्रांसक्रिप्ट में हेंसी क्रोनिए की आवाज है ही नहीं (वे इसे टेप समझने की गलती कर रहे थे), खुद हेंसी क्रोनिए ने सभी आरोप गलत बताए और ऐसे में यूनाइटेड बोर्ड ऑफ़ साउथ अफ्रीका ने तो अपने खिलाड़ी पर भरोसा दिखाना ही था।
सबसे मजेदार प्रतिक्रिया भारतीय बोर्ड के सेक्रेटरी जेवाई लेले की थी। वे बोले- 'ये सभी आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं। वे कुछ भी साबित नहीं कर पाएंगे।' सबसे ख़ास बात ये थी कि वे भूल गए कि केस पुलिस ने किया है और बोर्ड की तरफ से कुछ न भी बोला जाता तो भी काम चल रहा था। वे जिस जोश में थे- ऐसा लग रहा था, मानो हेंसी क्रोनिए पर नहीं, उन पर आरोप लगाए गए हों।
48 घंटे के अंदर साबित हो गया कि पुलिस ने जो बातचीत रिकॉर्ड की वह सही है और हेंसी क्रोनिए ने भी मान लिया कि उनका दो दिन पहले का बयान पूरी तरह से सच नहीं था- बुकी से बातचीत को उन्होंने मान लिया। मैच फिक्सिंग को नहीं माना पर ये मान गए कि 1999 में एक ट्रायंगुलर सीरीज से पहले लंदन के एक बुकी से पैसा लिया। इसके बाद तो मानो क्रिकेट ही बदल गई। हर मैच को शक की निगाह से देखने का सिलसिला शुरू हो गया।
तब दक्षिण अफ्रीका टीम के कोच बॉब वूल्मर थे। जब 2005 में पाकिस्तान की टीम भारत आई तब यही बॉब वूल्मर कोच थे पाकिस्तान के। तब वूल्मर ने इच्छा जाहिर की उन सीनियर पुलिस अधिकारी केके पॉल से मिलने की जिनकी कोशिशों से हेंसी क्रोनिए मामले का पर्दाफ़ाश हुआ था। केके पॉल तब तक पुलिस कमिश्नर बन चुके। कई साल बीत जाने के बावजूद वूल्मर ने हेंसी क्रोनिए की तरफ से सफाई दी। खैर वूल्मर का हेंसी क्रोनिए पर विश्वास एक अलग किस्सा है।
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