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वर्ल्ड कप फ्लैशबैक - कैसे मिला 1987 में भारत को विश्व कप की मेजबानी का मौका?

वनडे वर्ल्ड कप के शुरूआती तीन संस्करणों की सफल मेजबानी इंग्लैंड ने की। साल 1987 में वर्ल्ड कप का चौथा संस्करण खेला गया। लेकिन 1987 में वर्ल्ड कप की मेजबानी पहली बार इंग्लैंड की जगह  संयुक्त रूप से भारत और

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1987 Cricket World Cup
1987 Cricket World Cup (Image - Cricketnmore)
Cricketnmore Editorial
By Cricketnmore Editorial
May 18, 2019 • 12:57 PM

वनडे वर्ल्ड कप के शुरूआती तीन संस्करणों की सफल मेजबानी इंग्लैंड ने की। साल 1987 में वर्ल्ड कप का चौथा संस्करण खेला गया। लेकिन 1987 में वर्ल्ड कप की मेजबानी पहली बार इंग्लैंड की जगह  संयुक्त रूप से भारत और पाकिस्तान को मिली। लेकिन भारत और पाकिस्तान द्वारा मेजबानी के पीछे का किस्सा बहुत ही मजेदार है।

Cricketnmore Editorial
By Cricketnmore Editorial
May 18, 2019 • 12:57 PM

वर्ल्ड कप को भारती उपमहाद्वीप में लाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष एनकेपी साल्वे का रहा है। दरअसल साल्वे को भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए 1983 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला देखने का निमंत्रण मिला था। साल्वे जब वहां पहुँचे तो उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड(ईसीबी) के अधिकारियों से बीसीसीआई के अन्य सदस्यों के लिए कुछ अतिरिक्त मैच टिकटों की मांग की लेकिन ईसीबी ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया। साल्वे को इस बात का बहुत बुरा लगा और दुख भी हुआ।

वर्ल्ड कप फ्लैशबैक - कुछ अनसुने किस्से 

भारतीय टीम के वर्ल्ड कप जीत जाने के बाद जब साल्वे और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के उस समय के चेयरमैन एयर मार्शल नूर खान साथ में लंच कर रहे थे तब साल्वे ने बातों में कहा कि "काश भारत में भी वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट होते।" जवाब में नूर खान ने कहा कि " हम वर्ल्ड कप अपने देश में क्यों नहीं खेल सकते?" फिर साल्वे ने कहा कि "भारत और पाकिस्तान मिलकर अगर वर्ल्ड कप आयोजन करे तो कैसे रहेगा?"

लेकिन यह इतना आसान नहीं था क्योंकि आईसीसी ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को वीटो पावर दिया था जिसके कारण इंग्लैंड के बाहर वर्ल्ड कप आयोजन कराना लगभग असंभव था। इस वर्ल्ड कप के आयोजन के लिए भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड की एक जॉइंट कमेटी बनी जिसके अध्यक्ष बने साल्वे ।

भारत ने आईसीसी को अपने पक्ष में लेने के लिए एक शानदार तरीका निकाला। दरअसल तब 28 देश आईसीसी के सदस्य थे। इनमें से सिर्फ 7 देश टेस्ट क्रिकेट खेलते थे,जबकि 21 देशों को टेस्ट खेलने का दर्जा नहीं मिला था। भारत ने पैसे की बोली में इंग्लैंड को पीछे छोड़ते हुए टेस्ट खेलने तथा टेस्ट ना खेलने वाले देश को इंग्लैंड से अधिक राशि देने का प्रस्ताव रखा। भारत ने टेस्ट खेलने वाले देशों को इंग्लैंड से करीब 4 गुना ज्यादा तो वहीं टेस्ट ना खेलने वाले देशों को 5 गुना ज़्यादा रुपये देने की बात कही।

भारत के इस प्रस्ताव को सुनकर आईसीसी भी हैरान रह गई और भारत-पाकिस्तान ने साथ में आकर इस वर्ल्ड कप आयोजन की वोटिंग को 16-12 से जीत लिया।

देखिये पूरी कहानी इस वीडियो में

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