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Cricket Tales - कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट की बात हो और तेंदुलकर के किस्से जिक्र न हो - ये नहीं हो सकता !

हरमनप्रीत कौर की टीम कॉमनवेल्थ गेम्स में खेल रही है और एक बार फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट देखने को मिलेगी। इससे पहले पुरुष खेले थे- ये 1998 की बात है। मौजूदा दौर में भारत का एक साथ दो टीम

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Sachin Tendulkar
Sachin Tendulkar (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Jul 24, 2022 • 01:31 PM

हरमनप्रीत कौर की टीम कॉमनवेल्थ गेम्स में खेल रही है और एक बार फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट देखने को मिलेगी। इससे पहले पुरुष खेले थे- ये 1998 की बात है। मौजूदा दौर में भारत का एक साथ दो टीम ग्राउंड में उतारना अजीब नहीं लगता पर पहली बार ऐसे प्रयोग का किस्सा भी इन्हीं कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़ा है। तब भारत ने एक टीम कुआलालंपुर भेजी कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलने और दूसरी गई टोरंटो- पाकिस्तान के विरुद्ध सहारा कप में खेलने। वजह थी- दोनों टूर्नामेंट की तारीखों में टकराव और दोनों जगह टीम भेजना जरूरी हो गया था। ऐसा क्यों हुआ- ये एक अलग स्टोरी है। BCCI के इस विवादास्पद प्रयोग को 'फ्लॉप शो' गिनते हैं। यहां बात करेंगे दो टीम बनाने के साथ जुड़े एक ऐसे किस्से की जिसकी कोई मिसाल नहीं।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
July 24, 2022 • 01:31 PM

दो टीम बनानी थी और दोनों में बड़े खिलाड़ी जरूरी थे- इसलिए BCCI ने टॉप खिलाड़ी बांट दिए। सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण जैसे टॉप क्रिकेटर गए अजय जडेजा की टीम में कॉमनवेल्थ गेम्स जबकि सहारा कप के लिए, मोहम्मद अजहरुद्दीन की टीम में सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद जैसे खिलाड़ी थे। अब असली तमाशा देखिए :

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कॉमनवेल्थ गेम्स : भारत ग्रुप बी में था एंटीगा, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ था। ऑस्ट्रेलिया से हार गए, कनाडा के विरुद्ध जीत पर जब बारिश ने एंटीगा के विरुद्ध मैच धो दिया तो गोल्ड जीतने का दावेदार भारत ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गया। सब मानते हैं कि जैसी टीम गई थी, उसके साथ तो ऐसा ही कुछ, होना ही था। चूंकि ग्रुप राउंड से आगे नहीं बढ़े- इससे खिलाड़ी 'खाली' हो गए।

सहारा कप : टीम इंडिया वहां भी अच्छा नहीं खेल रही थी- ऐसे में BCCI ने तय किया कि सचिन, जडेजा, कुंबले और रॉबिन सिंह को सहारा कप के आखिरी दो मैचों के लिए कनाडा भेज दो। ये पता लगते ही पाकिस्तान वाले भड़क गए और कहा कि टूर्नामेंट के बीच में, बिना वजह टीम में कोई बदलाव नहीं हो सकता। बहसबाज़ी के बाद, आखिर में समझौता हुआ कि सिर्फ सचिन और जडेजा कनाडा जाएंगे। इस बीच, इस सबसे बेखबर सचिन और जडेजा अपनी छुट्टी मना रहे थे और अब शुरू हुआ उन्हें ढूंढना।

जडेजा मिल गए तो उन्हें अगली फ्लाइट से रवाना कर दिया गया- वे सहारा कप के चौथे मैच में खेले। तेंदुलकर का कहीं अता-पता नहीं था। पता लगा परिवार के साथ छुट्टी बिताने खंडाला गए हैं। उन्हें बड़ी मुश्किल से ढूंढा, बरसात के कारण उनके वापस लौटने में देरी हुई और तब बिना तैयारी कनाडा रवाना कर दिया- वे आखिरी पांचवें मैच में खेले। इसका वैसे कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान कप तो जीत ही चुका था। तेंदुलकर ने 77 रन बनाए।

इस तरह एक साथ खेलने वाली दो टीम बनाने का भारत का पहला प्रयोग बड़ा विवादस्पद रहा। तेंदुलकर को ढूंढने जैसे किस्से ने इसे तमाशा बना दिया। अब अगर थोड़ा गहराई में जाएं और सोचें तो सच्चाई ये है कि तब मोबाइल युग न होने के बावजूद, अगर चाहत होती तो BCCI वाले ऐसा तमाशा न होने देते। कैसे?

पहली थ्योरी : तेंदुलकर का छुट्टी जाना गलत नहीं था- सवाल ये है कि उन्हें उस वक्त ढूंढना क्यों शुरू किया जब पाकिस्तान ने उनके सहारा कप में खेलने पर सहमति दी? BCCI ने जैसे ही तेंदुलकर को टोरंटो भेजने के बारे में सोचा- उसी वक्त उन्हें एलर्ट किया जा सकता था ताकि वे 'उपलब्ध' रहें। ये BCCI के गैर-पेशेवर सोच के साथ काम करने का सबूत है।

दूसरी थ्योरी : ये मानने वालों की कमी नहीं कि 'ये सब' जान-बूझकर हुआ क्योंकि BCCI में एक प्रभावशाली लॉबी ये चाहती ही नहीं थी कि तेंदुलकर टोरंटो जाएं- तेंदुलकर खुद भी जाने से कतरा रहे थे। इस थ्योरी को सही मानने की वजह टेलीविजन/कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट का वह पैसा है जिसने इसी दौरान क्रिकेट पर अपना गलत असर डालना शुरू किया था। अब आप समझिए इक्वेशन को।

तेंदुलकर का अपना कॉन्ट्रैक्ट था वर्ल्डटेल के साथ और सहारा कप का आयोजन किया उनकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी आईएमजी (इंटरनेशनल मैनेजमेंट ग्रुप) ने और स्पांसर थे सहारा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज। इस तमाशे में, आखिर में जब आईएमजी ने धमकी दी कि वे सालाना 4 लाख डॉलर तोड़ देंगे तो तेंदुलकर को भेजने के मामले में तेजी आई।

उस वक्त क्रिकेट के संदर्भ में, भारतीय बाजार में दो सबसे बड़े टेलीविजन खिलाड़ी ट्रांसवर्ल्ड इंटरनेशनल (आईएमजी ग्रुप) और मार्क मैस्करेनहास की कंपनी वर्ल्डटेल थे। ट्रांसवर्ल्ड का BCCI से पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट था। भारतीय क्रिकेट के बाजार पर कंट्रोल के लिए इन दोनों के बीच बड़ा जोरदार मुकाबला था और उसी में कई बार क्रिकेट ने नुकसान उठाया।

थ्योरी ये है कि वर्ल्ड टेल ने जोर लगा दिया कि सबसे बड़े स्टार तेंदुलकर, टोरंटो में आईएमजी के टूर्नामेंट में न खेलें। तेंदुलकर की मास्करेनहास के साथ, कॉन्ट्रैक्ट के अलावा दोस्ती किसी से छिपी नहीं थी- उस साल की शुरुआत में दोनों परिवार के साथ छुट्टी मनाने एक साथ अमेरिका भी गए थे। बोर्ड में किस लॉबी के साथ कौन था- ये चिट्ठा खोला तो और भी बहुत कुछ सामने आ जाएगा।

इस तमाशे में नुकसान किसका हुआ- टीम इंडिया के रिकॉर्ड का।

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