Cricket Tales - बेयरस्टो के तूफ़ान में भी जेसप का रिकॉर्ड कायम

Updated: Sun, Jul 24 2022 21:14 IST
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Cricket Tales - जॉनी बेयरस्टो ने ट्रेंट ब्रिज में न्यूजीलैंड के विरुद्ध जो शतक बनाया- इंग्लिश क्रिकेट में उसकी चर्चा हमेशा होगी। 92 गेंदों में 136 रन कोई मजाक नहीं- इस दौरान 77 गेंदों में शतक। जॉनी ने इस तेज बल्लेबाजी का बहुत कुछ श्रेय अपने आईपीएल में खेलने को दिया।

तब भी वे 120 साल पहले बना, इंग्लैंड के सबसे तेज टेस्ट शतक का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाए। ये रिकॉर्ड गिल्बर्ट जेसप के नाम है- 76 गेंद में 100 रन (1902 में ओवल में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध)। तब आईपीएल भी नहीं थी। वे कैसे बल्लेबाज थे इसका जवाब महान बल्लेबाज सर जैक हॉब्स की एक स्टेटमेंट है- उन्हें, लोग, डॉन ब्रैडमैन से भी ज्यादा देखना चाहते थे।अगर ट्रेंट ब्रिज में उस दिन, बेन स्टोक्स ने मिसफील्ड पर दूसरा रन लेने से इंकार न किया होता या जॉनी बेयरस्टो ने अगली गेंद को ब्लॉक न किया होता, तो 120 साल पुराना रिकॉर्ड टूट जाता।

उस ओवल टेस्ट में, इंग्लैंड को जीत के लिए 263 का लक्ष्य मिला। बिना कवर वाली पिच, रात भर भारी बारिश होती रही- ऐसे में रन बनाना कहां आसान था? एक किस्सा बड़ा मजेदार है। उस दिन जो खेल देखने आए उनमें एक 20 साल का बैंक क्लर्क भी था, जो एक लेखक बनने का सपना देखता था। जब इंग्लैंड का स्कोर 48-5 हो गया तो उसे, बैंक छोड़कर मैच देखने के अपने फैसले पर बड़ा अफ़सोस हुआ। लंच पर स्कोर 87 था- जेसप 39* पर। उस क्लर्क ने अपनी गलती सुधारी और मैच छोड़कर वापस बैंक लौट गया। उन दिनों रेडियो कवरेज भी नहीं था- इसलिए उसे पता नहीं लगा कि टेस्ट में क्या हुआ? जेसप ने 104 और जॉर्ज हर्स्ट ने 58 बनाए और इंग्लैंड ने एक विकेट से जीत दर्ज की।

एक महीने बाद उस क्लर्क ने, अपना पहला नॉवल प्रकाशित होने से ठीक पहले नौकरी छोड़ दी- अगर बैंक में काम करने का मतलब है ऐसे मैच न देख पाओ तो ये नौकरी किस काम की? फुल टाइम नॉवल लिखने लगे- ये और कोई नहीं महान नॉवल लेखक पीजी वोडहाउस थे। अपने 64 वें नॉवल- 'डू बटलर बर्गल बैंक्स' में उन्होंने, एक कैरेक्टर का नाम जेसप रखा।

टेस्ट पर लौटते हैं। 11 अगस्त का दिन। तब तक, इंग्लैंड 1902 एशेज सीरीज हार चुका था। तीसरे दिन, स्कोर 48- 5 था तो जेसप क्रीज पर आए। 77 मिनट में- 139 में से 104 रन बनाए और इसमें 76 गेंदों में शतक। जब आउट हुए, तब तीन विकेट बचे थे और 76 रनों की जरूरत थी।

जेसप की पारी में 17 चौके थे। उन दिनों छक्का तब मिलता था जब गेंद ग्राउंड के बाहर गिरे- यानि कि आज के हिसाब से कई 4 को 6 में बदल सकते थे। जेसप ने गेंद को दो बार

पवेलियन की छत पर पहुंचाया- एक बार हैरी फोस्टर ने प्लेयर्स बालकनी में कैच पकड़ा। द टाइम्स ने लिखा, "जब तक क्रिकेट का जिक्र होगा- इस शानदार प्रदर्शन को याद रखा जाएगा।"

विलियम गिल्बर्ट ग्रेस से प्रभावित होकर पिता ने उन्हें गिल्बर्ट लैयर्ड जेसप का नाम दिया- बल्लेबाजी के अजीब स्टांस के कारण "द क्राउचर" का निकनेम मिला। करियर में प्रति घंटे लगभग 80 रन बनाए- ग्रेस ने 36 और ब्रैडमैन ने 47 रन बनाए। अपने तरीके से खेले- आउट होने की कभी चिंता नहीं की। इसीलिए 18-टेस्ट के करियर में सिर्फ एक शतक बनाया और बैट से 21.88 और गेंद से 35.40 का औसत दर्ज किया।

1897 में हैरोगेट में यॉर्कशायर के विरुद्ध जेसप का 40 मिनट का शतक- प्रथम श्रेणी क्रिकेट के इतिहास में आठवां सबसे तेज शतक है। पांच बार दोहरा शतक बनाया- सबसे बेहतर 286 रन ससेक्स के विरुद्ध 1903 में होव में जिसमें क्रीज पर 175 मिनट रहे और इस दौरान टीम के स्कोर में 355 रन जुड़े।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़े पर कभी डिग्री नहीं ले पाए। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और बिलियर्ड्स सब खेले। पहले वर्ल्ड वॉर के दौरान अपनी मर्जी से, 40 साल की उम्र के बावजूद सेना में चले गए और मैनचेस्टर रेजिमेंट में कैप्टन थे। वहीं पीठ में तकलीफ हुई। 1916 में इसके इलाज के लिए Radiant Heat Dousing कराने के दौरान, कंटेनर के ढक्कन में खराबी की वजह से 30 मिनट तक 100-150 डिग्री की गर्मी में फंस गए। चिल्लाते रहे- कोई मदद को न आया। इसका असर उनके दिल पर आ गया। 1918 में गोल्फ खेलते हुए दिल का दौरा पड़ा और फिर कभी क्रिकेट नहीं खेला।

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