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Cricket Tales - अनोखे सच उस ऑडी कार के जिसे रवि शास्त्री ने जीता था

रवि शास्त्री की ऑडी कार हाल ही में काफी चर्चाओं में थी। आज हम आपको इस कार से जुड़ी कुछ अनोखी बातों को बताएंगे।

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Cricket Image for अनोखे सच उस ऑडी कार के जिसे रवि शास्त्री ने जीता था
Cricket Image for अनोखे सच उस ऑडी कार के जिसे रवि शास्त्री ने जीता था (Ravi Shastri Audi Car)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Jun 14, 2022 • 03:00 PM

Cricket Tales - 1985 में ऑस्ट्रेलिया में बेंसन एंड हेजेज क्रिकेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में, रवि शास्त्री ने चैंपियन ऑफ चैंपियंस का अवार्ड जीता और उन्हें ऑडी 100 कार इनाम में मिली। रवि शास्त्री ने तब 182 रन बनाए थे टूर्नामेंट में और साथ में 8 विकेट लिए। आज किसी भी क्रिकेटर के लिए कार कोई बहुत बड़ी बात नहीं पर उस समय ये ऐसा अवार्ड था जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हुई। भारत के क्रिकेटरों को साइकिल, मोटर साइकिल या स्कूटर इनाम में मिलने की मिसाल तो थीं पर भारत से बाहर कार मिलना- अनोखी घटना जैसा था। उस दौर में किसी भी प्रॉडक्ट से जुड़ा 'इम्पोर्टेड' शब्द ही उसकी कीमत एकदम बढ़ा देता था।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
June 14, 2022 • 03:00 PM

भारत ने तब पाकिस्तान को फाइनल में हराया था- के श्रीकांत को मैन ऑफ द मैच और रवि शास्त्री को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। रवि शास्त्री के जैसे ही सुनहरे रंग की ऑडी जीतने की घोषणा हुई- टीम के सभी क्रिकेटर कार पर थे- कोई अंदर, कोई बोनट पर तो कोई छत पर। आपने इस नजारे की फोटो जरूर देखी होंगी। आज तक इसे भारतीय खेलों की सबसे चर्चित/प्रतिष्ठित कार मानते हैं।  

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पिछले दिनों ये कार फिर से चर्चा में आई- असल में पुरानी हो चुकी कार चलती भी नहीं थी। कंपनी ने इसे बहाल किया और तब ही चारों ओर इस कार की फोटो और इसे जीतने के किस्से मीडिया में आ गए। तब भी, इस कार से जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें हैं जो बड़ी अलग हैं और इन्हें जानेंगे तो कार को जानने का मजा और बढ़ जाएगा :

1. प्रेजेंटेशन में जैसे ही इयान चैपल ने रवि शास्त्री को ऑडी कार की चाबियां दीं तो रवि शास्त्री की चिंता किए बिना, टीम के क्रिकेटर कार पर सवार हो गए। ये देखकर, रवि शास्त्री प्रेजेंटेशन को अधूरा छोड़ कर ही कार की तरफ भाग लिए थे।

2. कार पर स्टेडियम का चक्कर लगाया- कार में बस इतना सा ही पेट्रोल था कि कुछ मिनट चलती।

3. ड्राइविंग सीट पर रवि शास्त्री। होशियार ऑस्ट्रेलिया पुलिस वाले भी उस माहौल में धोखा खा गए- कार चलाने के लिए इंटरनेशनल लाइसेंस होना तो दूर की बात, उनके पास तो भारत में कार चलने का लाइसेंस तक नहीं था। उनका उनका चालान कट सकता था।

4. शास्त्री कार चला रहे थे पर पूरा ध्यान इस बात पर था कि कार पर चढ़े क्रिकेटर इसे खराब कर रहे हैं- जिमी (अमरनाथ) बोनट पर थे और सदानंद विश्वनाथ छत पर- स्पाइक पहने हुए। खूब खरोंचें डाल दीं उनके जूतों ने और रवि शास्त्री इन खरोंचों को देखकर तब बड़े परेशान हुए थे। माहौल ऐसी खुशी और पागलपन का था कि वे चुप रह गए।

5.  Shipping Corporation of India ने कार को भारत लाने का इंतजाम किया और टूर्नामेंट के कुछ महीने बाद ये कार मुंबई पहुंची। कार के पहुंचने की खबर फैल चुकी थी और जब इसे जहाज के कंटेनर से बाहर लाए तो डॉक पर 8,000-10,000 लोग इसे देखने मौजूद थे।

6. जब वहां रवि शास्त्री को कार की डिलीवरी मिली तो वहां से ये उनके घर कैसे पहुंची? तब तक उन्होंने लाइसेंस तो ले लिया था, फिर भी इसे चलाने से इनकार कर दिया। उन्हें डर था कि चूंकि इस कार को चलाने की आदत तो है नहीं तो ऐसा न हो कि इसे कहीं ठोक दें। कंपनी ने पहले से अपने एक होशियार ड्राइवर का इंतजाम कर रखा था- वही कार को चलाकर उनके घर ले गया।

7.  पूरे रास्ते में, लोग बाइक से हॉर्न बजा रहे थे और ऐसा लग रहा था कि कोई जुलूस निकल रहा है। शास्त्री हैरान थे कि ऑडी बिना खरोंच उनके घर पहुंच कैसे गई?

8. इसका रजिस्ट्रेशन नंबर एमएफए 1 एकदम मशहूर हो गया और कार सड़क पर देखकर हर कोई इसे अच्छी तरह देखने, रुक जाता था।  

अब एक रहस्य जो बड़ा अनोखा है। विश्वास कीजिएगा कि जो ऑडी भारत आई और आज तक जिसकी चर्चा हो रही है- ये वो कार है ही नहीं, जो उस दिन मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम में रवि शास्त्री को मिली थी। असल में उस सेलेब्रेशन ड्राइव ने कार पर इतनी खरोंच और डेंट डाल दिए कि नई जैसी लग ही नहीं रही थी। कार के अंदर जगह-जगह शैंपेन गिरी हुई थी। कार की ये हालत देखकर ऑडी कंपनी ने खुद तय किया कि रवि शास्त्री को ये नहीं, कोई नई कार देंगे। इस नई कार की शिपमेंट हुई थी।

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इतना ही नहीं ऑडी ने रवि शास्त्री को एक बड़ी अनोखी सुविधा दी- वे पूरी दुनिया में कहीं भी जाएं और अगर ड्राइव करने के लिए कार की जरूरत हो तो कंपनी उन्हें कार मुहैया कराती है (बशर्ते उस देश में ऑडी हो)। रवि शास्त्री ने ऑडी को इंग्लैंड में सबसे ज्यादा चलाया है।

इस कार ने एक और नई शुरुआत भी की। माहौल ऐसा था कि खुद तब प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस कार पर कोई इम्पोर्ट ड्यूटी न लगाने का आदेश दिया था- इसके बाद ही किसी भी खिलाड़ी के टूर्नामेंट में कार जीतने पर, कार को बिना ड्यूटी भारत लाने की इजाजत दी गई थी।

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