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Cricket Tales - जिन विकेटकीपर को टूर टीम में होना चाहिए था वे नहीं थे - कोई और पूरी सीरीज खेल गया

1971 के ऐतिहासिक वेस्टइंडीज के लिए कैरेबियन गए पी कृष्णमूर्ति और रुसी जीजीभॉय जबकि फारूख इंजीनियर और सैयद किरमानी इंग्लैंड गए। यहीं से एक बड़ा मजेदार सवाल ये उठता है कि उस समय, देश में नंबर 1 विकेटकीपर होने के

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Cricket Tales
Cricket Tales (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Oct 04, 2022 • 08:19 AM

Cricket Tales - कुछ दिन पहले मुंबई के विकेटकीपर शरद हजारे का निधन हो गया- बेहतरीन विकेटकीपर। एक बड़ी ख़ास बात- उनका निधन हुआ उनके जन्मदिन पर। ये तय नहीं कि अपने जन्मदिन पर कितने टेस्ट क्रिकेटर का निधन हुआ पर 1943 में जन्मे वेस्टइंडीज के ऑलराउंडर कीथ बॉयस का रिकॉर्ड मालूम है- 11 अक्टूबर,1996 उनका जन्म दिन और उसी दिन निधन हुआ।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
October 04, 2022 • 08:19 AM

शरद हजारे, घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन होने के बावजूद इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेल पाए। 1969-70 की बिल लॉरी की आस्ट्रेलिया टीम के विरुद्ध चेन्नई के पांचवें और आख़िरी टेस्ट के लिए वे 14 में लिए गए फारुख इंजीनियर को बुखार होने की वजह से और रिपोर्ट ये थी कि उनका खेलना तय है। टेस्ट की सुबह, इंजीनियर ने खुद को 'फिट' घोषित कर दिया।

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इसी तरह 1971 के ऐतिहासिक वेस्टइंडीज और इंग्लैंड टूर के लिए भी वे चर्चा में थे पर कैरेबियन गए पी कृष्णमूर्ति और रुसी जीजीभॉय जबकि फारूख इंजीनियर और सैयद किरमानी इंग्लैंड गए। यहीं से एक बड़ा मजेदार सवाल ये उठता है कि उस समय, देश में नंबर 1 विकेटकीपर होने के बावजूद, फारूख इंजीनियर वेस्टइंडीज टूर पर क्यों नहीं गए? वे फिट थे, उपलब्ध थे पर सच ये है कि उन्हें विजय मर्चेंट की सेलेक्शन कमेटी ने चुना ही नहीं। वास्तव में ये विजय मर्चेंट का अपना फैसला था और ये जानते हुए भी कि टूर में एक कमजोर विकेटकीपर के साथ खेलने से टीम को नुकसान होगा, वे जिद्द पर अड़े रहे।

पी कृष्णमूर्ति सभी 5 टेस्ट खेले और कई गलतियां की। ये तो, भारत तब भी सीरीज जीत गया- अन्यथा बड़ा तमाशा होता। सीरीज जीतने से टीम का ये कमजोर पहलू छिप गया। इसीलिए कुछ ही दिन बाद, इंग्लैंड टूर की टीम में इंजीनियर को चुन लिया। माना ये जाता है कि इंजीनियर को नहीं भेजना था तो कृष्णमूर्ति और जीजीभॉय के बजाय हजारे और राजस्थान के सुनील बेंजामिन को उस टीम में होना चाहिए था। कृष्णमूर्ति को उस टूर के बाद, कभी और कोई टेस्ट नहीं खिलाया।

अब सवाल वही है कि इंजीनियर को क्यों नहीं चुना था ? इस सवाल का जवाब देने से पहले एक नए मुद्दे पर चर्चा जरूरी है। क्या आज टीम इंडिया चुनते हुए सेलेक्टर ये जिद्द करते हैं कि घरेलू क्रिकेट खेलो तभी टीम में चुनेंगे? विराट कोहली ने 2006 में पहला फर्स्ट क्लास मैच खेला और अब तक सिर्फ 134 फर्स्ट क्लास मैच जिनमें से 102 तो टेस्ट हैं। किसी को याद भी नहीं होगा कि वे आख़िरी बार कब रणजी/दलीप/ईरानी ट्रॉफी मैच खेले।

विजय मर्चेंट ने 1970 में ये शर्त लगा दी- जो घरेलू क्रिकेट खेलेगा, वही टेस्ट खेलने का दावेदार होगा। तब तक फारुख इंजीनियर ने इंग्लैंड में रहना शुरू कर दिया था। असल में 1967 में इंग्लैंड टूर के दौरान, बैट के साथ और स्टंप के पीछे इंजीनियर ने बड़ा अच्छा प्रदर्शन किया। इसी से उन्हें, लेंकशायर काउंटी के लिए खेलने का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। वह 1968 में लेंकशायर चले गए। एक ब्रिटिश मूल की महिला से शादी कर वहीं बस गए। वे तब भी भारत की टीम के लिए उपलब्ध थे पर रणजी ट्रॉफी में मुंबई के लिए खेलना बंद कर दिया। यही विजय मर्चेंट को पसंद नहीं था और नियम बना दिया- भारत के लिए वही खेलने का हकदार होगा जो घरेलू क्रिकेट में खेलेगा।

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इंजीनियर ने 46 टेस्ट खेले, 31.08 की शानदार औसत से 2,611 रन बनाए, जिसमें 2 शतक शामिल थे। एक ऐसे दौर में खेले जिसमें भारतीय गेंदबाजी लगभग पूरी तरह से स्पिन पर निर्भर थी। वे कितने बेहतरीन विकेटकीपर थे, इसके सबूत के तौर पर लेंकशायर टीम में साथ खेले सीमर ब्रायन स्टैथम ने कई बार जिक्र किया कि अगर इंजीनियर उनके पूरे करियर के दौरान विकेटकीपर होते तो उनके नाम और भी ज्यादा विकेट होते।

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