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Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1971

साल 1971 में भारत ने इंग्लैंड की सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट मैच और पहली टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रचा। 1960 के आते-आते भारतीय क्रिकेट मैनेजमेंट की नई कमिटी बनी जिसकी कमान विजय मर्चेंट को दी गई और तब उन्होंने

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India tour of England 1971
India tour of England 1971 (Image Source - Google)
Abhishek  Mukherjee
By Abhishek Mukherjee
Feb 16, 2021 • 09:56 PM

साल 1971 में भारत ने इंग्लैंड की सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट मैच और पहली टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रचा था। 

Abhishek  Mukherjee
By Abhishek Mukherjee
February 16, 2021 • 09:56 PM

1960 के आते-आते भारतीय क्रिकेट मैनेजमेंट की नई कमिटी बनी जिसकी कमान विजय मर्चेंट को दी गई और तब उन्होंने भारतीय दल में कई बड़े बदलाव किए। उन्होंने तब टीम में कई युवा और होनहार खिलाड़ियों को मौका दिया। कुछ खिलाड़ी तो बहुत जल्द ही टीम से बाहर चले गए लेकिन कुछ खिलाड़ियों ने भारत के लिए लंबे समय तक अपने खेल से लोगों को रोमांचित किया। इन खिलाड़ियों में सुनील गावस्कर, गुडप्पा विश्वनाथ और मोहिंदर अमरनाथ जैसे दिग्गजों का नाम शामिल है।

इस दौरान सबसे बड़ा फैसला था कि 1971 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के लिए अजित वाडेकर को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया। मंसूर अली खान पटौदी जिन्होंने 60 के दशक में भारतीय क्रिकेट का कार्य़भार संभाला था उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया। हालांकि इसके बावजूद वाडेकर चाहते थे कि पटौदी वेस्टइंडीज और इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम में बतौर बल्लेबाज खेले लेकिन अली खान ने खुद दौरे से अपना नाम वापस ले लिया।

भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट जीत पोर्ट ऑफ स्पेन के मैदान पर हासिल की और उस टेस्ट सीरीज को 1-0 से अपने नाम किया। गावस्कर ने मैच में 774 रन बनाए जो आज भी किसी बल्लेबाज द्वारा उसके डेब्यू सीरीज में बनाए गए सर्वाधिक रन है। इसके अलावा दिलीप सरदेसाई ने उस सीरीज में 642 रन बनाए। गेंदबाजों की बात करे तो बिशेन सिंह बेदी, ईएस प्रसन्ना और श्रीनीवासन वेंकेटराघवन ने मिलकर कुल 48 विकेट हासिल किए थे।

इन सभी सफलताओं के बाद भी यह चीज भूलनी नहीं चाहिए कि वेस्टइंडीज की टीम एक बदलाव से गुजर रही थी और तब उन्हें 1966 से लेकर 1973 के बीच कोई टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाबी नहीं मिली थी।

हालांकि इग्लैंड के खिलाफ सीरीज की बात कुछ और थी। कारण यह था कि इस दौरान इंग्लैंड की टीम वर्ल्ड की सबसे ताकतवर क्रिकेट टीम थी। आखिरी 24 टेस्ट मैचों में उनकी टीम अपराजित रही थी। हाल ही में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराया था। वेस्टइंडीज क्रिकेट का खराब समय चल रहा था और साउथ अफ्रीका की टीम पर बैन लगा था। भारत के खिलाफ सीरीज से पहले उन्होंने पाकिस्तान को घर पर हराया था।

इस सीरीज की दिलचस्प बात यह भी थी कि भारत ने इससे पहले इंग्लैंड की सरजमीं पर ना एक सीरीज जीती थी और नाहीं कोई एक भी मैच। इ्ससे पहले टीम ने 6 बार इंग्लैंड का रूख किया था जहां उन्हें हर बार ही हार नसीब हुई थी। इंग्लैंड के खिलाफ 19 टेस्ट मैचों में से वो 4 ड्रॉ करवाने में सफल रहे थे और अन्य 15 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

कर्नल हेमु अधिकारी जो साल 1952 के शर्मनाक दौरे पर भारतीय टीम में शामिल थे वो इस बार 1971 में भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर के रूप में इंग्लैंड रवाना हुए। इंग्लैंड के पूर्व गेंदबाज फ्रेड ट्रुमेन जिन्होंने भारत को 1952 सीरीज और 1959 सीरीज में अपनी घातक गेंदबाजी से परेशान किया था, इस बार उन्होंने इंग्लैंड की सरजमीं पर अधिकारी को यह कहकर स्वागत किया कि," मुझे यह देखकर बेहद खुशी हुई की कर्नल तुम्हारा रंग वापस आ चुका है।"

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अधिकारी ने इस बात का जवाब शानदार ढ़ंग से दिया। उन्होंने भारत की फिल्डिंग सुधरवाने में पूरी जान लगा दी। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत को 30 यार्ड घेरे में फिल्डिंग करने वाले बेहतरीन खिलाड़ी मिले जिसमें वाडेकर, गावस्कर, वेंकट और एकनाथ सोलकर का नाम शामिल है। साथ ही विकेट के पिछे फारूख इंजिनियर ने भी बेहतरीन काम किया और इन सभी के बदौलत भारत ने इस सीरीज को ऐतिहासित बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

भारत ने इंग्लैंड की सरजमीं पर मैच और सीरीज जीतकर इतिहास रचा। इस दौरान भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा। 19 टेस्ट मैचों में उन्होंने 7 मैच जीते, 11 ड्रॉ रहे और केवल एक मैच में हार मिली। इस दौरान भारत को लीसेस्टरशायर और वार्विकशायर के खिलाफ दो मैचों में पारी और रन से जीत मिली।

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