Cricket Tales - वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ ऐसे जमे कि टेस्ट में लगातार दो दिन कोई विकेट नहीं गिरा
Cricket Tales | क्रिकेट के अनसुने दिलचस्प किस्से - पाकिस्तान-भारत, लाहौर, 2006 टेस्ट में जो रिकॉर्ड बना उसके लिए पिच के साथ-साथ, भारत के बल्लेबाज भी जिम्मेदार थे और ये भारत के सबसे बेहतर प्रदर्शन में से एक गिना जाता
Cricket Tales | क्रिकेट के अनसुने दिलचस्प किस्से - कुछ दिन पहले, बुलावायो में खेले जिम्बाब्वे-वेस्टइंडीज टेस्ट की एक ख़ास बात ये थी कि लगातार दो दिन के खेल में कोई विकेट नहीं गिरा। ऐसा सिर्फ 5वीं बार हुआ पर पहली बार जब टेस्ट के पहले दो दिन कोई विकेट नहीं गिरा। इस छोटी सी लिस्ट में दो टेस्ट भारत के भी हैं- श्रीलंका-भारत, कोलंबो, 1997 और पाकिस्तान-भारत, लाहौर, 2006 में। लाहौर टेस्ट में जो रिकॉर्ड बना उसके लिए पिच के साथ-साथ, भारत के बल्लेबाज भी जिम्मेदार थे और ये भारत के सबसे बेहतर प्रदर्शन में से एक गिना जाता है। कैसा था प्रदर्शन और क्या हुआ था उस टेस्ट में? चलते हैं लाहौर।लाहौर, जनवरी 13, 14, 15, 16, 17, 2006। टॉस: पाकिस्तान। आम तौर पर पिच और मौसम को टेस्ट के ड्रा नतीजे लिए जिम्मेदार ठहराया गया। पिच का पूरा साथ, मौसम ने भी दिया जिससे बड़ी मुश्किल से 220 ओवर का खेल हो सका- उसमें भी तीसरे दिन सिर्फ 15 ओवर और पांचवें दिन सिर्फ 14 गेंद।
तब भी, रिकॉर्ड बुक में ये टेस्ट कई एंट्री वाला रहा। पहले दो दिन, पाकिस्तान के बल्लेबाजों का दबदबा रहा लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि भारत की तरफ से आई- राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवाग ने 410 रन के ओपनिंग स्टैंड का रिकॉर्ड बनाया और तब, पहले विकेट की सबसे बड़ी पार्टनरशिप के 50 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ने से सिर्फ 4 रन पीछे रह गए। उस रिकॉर्ड की बात हो रही है जो मद्रास में न्यूजीलैंड के विरुद्ध वीनू मांकड़ और पंकज रॉय ने बनाया था। मजे की बात ये कि सहवाग ने कह दिया कि उन्हें तो रिकॉर्ड के बारे में मालूम ही नहीं था और शायद इसीलिए आख़िरी दिन, नवेद-उल-हसन के लगातार तीसरे बाउंसर पर एक अधूरा सा शॉट लगाकर आउट हुए- वही मस्ती वाला अंदाज जो उनके करियर की पहचान रहा है।
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दूसरी तरफ राहुल द्रविड़ बड़ी संजीदगी से बैटिंग कर रहे थे। इसका मतलब है- दोनों बिलकुल अलग स्टाइल में खेल रहे थे और इसका सबूत स्ट्राइक रेट से बेहतर और क्या होगा? इसमें सहवाग उनसे कहीं तेज थे। इसी चक्कर में सहवाग ने मौके भी दिए पर ड्रॉप कर दिए गए। तब भी चूंकि पार्टनरशिप में 5.33 रन प्रति ओवर की तेजी से रन बन रहे थे तो दोनों को कोई भी अलग-अलग नहीं देख रहा था। द्रविड़ तब कप्तान भी थे और कप्तान के तौर पर अपना पहला 100 का स्कोर बनाया।
इस सारी चर्चा के बीच एक बड़ा ख़ास मुद्दा ये है कि राहुल द्रविड़ तो विशषज्ञ नंबर 3 बल्लेबाज थे- तो उन्होंने ओपनिंग क्यों की? टीवी कैमरों ने दिखाया था कि टॉस से पहले द्रविड़, उनसे पहले के कप्तान सौरव गांगुली और कोच ग्रेग चैपल आपस में बात कर रहे हैं लेकिन जिस अंदाज में बात हो रही थी, उस से साफ़ पता चल रहा था कि बहस हो रही है। ये बहस इस बात पर थी कि कौन ओपन करेगा? रिपोर्ट ये बताती हैं कि टेस्ट टीम में, गांगुली को ओपनर गिन कर टीम में लिया था और इसकी कीमत पर विशेषज्ञ ओपनर बल्लेबाज गौतम गंभीर और वसीम जाफर बाहर कर दिए गए थे। उस बहस में द्रविड़ ओपनर बने थे।
सहवाग का पाकिस्तान की गेंदबाजी के लिए प्यार पहले से ही जग जाहिर था- उनके विरुद्ध पिछले 6 टेस्ट में वे 309, 173 और 201 जैसे स्कोर बना चुके थे। इस बार 254 रन बनाए- कुल 48 बाउंड्री शॉट (47 चौके और 1 छक्का)। तब वह टेस्ट में गेंद की गिनती पर दूसरा सबसे तेज दोहरा शतक था (सिर्फ नाथन एस्टल, 2001-02 में इंग्लैंड के विरुद्ध 153 गेंद में) उनसे तेज थे- सहवाग का रिकॉर्ड 182 गेंद था और कुल 254 रन 247 गेंद में- 328 मिनट।
पहले दिन पाकिस्तान का स्कोर 326-2 था। दूसरे दिन पाकिस्तान ने 679-7 पर पारी समाप्त घोषित की। दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 65-0 का स्कोर बना लिया था- सिर्फ 13 ओवर में। तीसरे दिन स्कोर 145-0 था। चौथे दिन स्कोर 403-0 था। इसका मतलब ये हुआ कि दो दिनों में कोई विकेट नहीं गिरा था।
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टेस्ट ड्रा हो गया और मजे की बात ये है कि द्रविड़ के 128* के बावजूद आम राय ये थी कि उन्हें नियमित ओपनर बनाने की कोशिश कतई नहीं होनी चाहिए। इतना सब कुछ हो गया पर नया रिकॉर्ड नहीं बना।
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