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अमीर बी को आखिर तक कसक रही कि उनका ये बेटा टेस्ट क्रिकेट क्यों नहीं खेला .....

कहानी क्रिकेटर रईस मोहम्मद की जो एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे जिससे उनके चार भाई वजीर मोहम्मद, हनीफ मोहम्मद, मुश्ताक मोहम्मद और सादिक मोहम्मद ने पाकिस्तान के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेली।

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Raees Mohammad
Raees Mohammad (Image Source: Twitter)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Feb 23, 2022 • 12:27 PM

क्रिकेटर रईस मोहम्मद का देहांत हो गया। न तो वे टेस्ट खेले और न ही वन डे या टी 20 इंटरनेशनल। 30 फर्स्ट क्लास मैच खेले। कराची में निधन के समय वे 89 साल के थे। तो फिर ऐसी क्या बात है कि उनकी कोई ख़ास चर्चा हो ?

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
February 23, 2022 • 12:27 PM

इस सवाल के कई जवाब हो सकते हैं। पहला और सबसे ख़ास ये कि वे टेस्ट क्रिकेटरों वजीर, हनीफ, मुश्ताक और सादिक मोहम्मद के भाई थे यानि कि पाकिस्तान के मशहूर मोहम्मद परिवार के एक सदस्य- वजीर उनसे बड़े थे। दूसरा ये कि रईस ने भले कभी खुद टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला पर वे अपने अन्य चारों भाइयों को टेस्ट क्रिकेटर बनाने के लिए किसी हद तक जिम्मेदार थे। तीसरा ये कि जो इस मोहम्मद परिवार को जानते हैं, उनमें से ज्यादातर का मानना है कि वे टेलेंट में अपने अन्य भाइयों से किसी भी तरह से कम नहीं थे। पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहासकार लिखते हैं कि जबकि उनसे कम टेलेंट वाले टेस्ट खेलते रहे वे तरसते रहे। क्रिकेट की सबसे मशहूर मां में से एक, अमीर बी को जितना गर्व इस बात पर था कि वे चार टेस्ट क्रिकेटरों की मां हैं- उतना ही इस बात का अफ़सोस कि रईस टेस्ट नहीं खेले।

रईस का जन्म 25 दिसंबर 1932 को जूनागढ़, गुजरात (तब जूनागढ़ राज्य) में हुआ था। वहीं क्रिकेट की शुरुआत की, लेकिन फिर पूरा परिवार पाकिस्तान में बस गया। फर्स्ट क्लास करियर 1953 में कराची में शुरू हुआ था। रईस टॉप क्रम के बल्लेबाज और लेग स्पिनर थे- करियर में 1344 रन और 33 विकेट। उनके बेटे आसिफ मोहम्मद ने फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए क्रिकेट खेला।

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मोहम्मद भाइयों ने 1952 में पहले टेस्ट से अगले कई साल तक पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया। भाइयों में सबसे बड़े वज़ीर मोहम्मद, इस समय 92 साल के हैं और पाकिस्तान के सबसे पुराने जीवित टेस्ट क्रिकेटर। हनीफ का 2016 में 81 साल की उम्र में निधन हो गया। मुश्ताक (भाइयों में सबसे ज्यादा 57 टेस्ट) और सादिक क्रमशः 78 और 76 साल के हैं।

एक इंटरव्यू में, वज़ीर ने रईस के बारे में कहा था- 'वह हम पांच भाइयों में सबसे स्टाइलिश बल्लेबाज थे।' हनीफ ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा- 'रईस हम सभी में सबसे बदकिस्मत थे जो अपने देश का प्रतिनिधित्व करने से चूक गए। मेरी राय में, अगर वह खेलते, तो खुद को मुश्ताक से भी बेहतर ऑलराउंडर साबित करते।' 1952 से 1978 तक पाकिस्तान ने ऐसा कोई टेस्ट नहीं खेला जिसमें इस मोहम्मद परिवार का कोई प्रतिनिधि न हो।

ऐसा नहीं कि रईस टेस्ट खेलने के कभी दावेदार नहीं थे। जब 1952 /53 में पाकिस्तान ने भारत टूर पर आना था तो लाहौर में टीम चुनने के लिए एक ट्रायल मैच हुआ- रईस ने 93* बनाए और 42 रन देकर 4 विकेट लिए। तब भी उन्हें नहीं चुना। कारदार की व्यक्तिगत पसंद लेग स्पिनर अमीर इलाही थे जो उस समय 44 साल के थे। वे सीरीज के सभी टेस्ट खेले और कुछ ख़ास नहीं किया।

1954 में रईस को, इंग्लैंड टूर की टीम चुनने के ट्रायल मैच में खेलने बुलाया। रईस बहुत अच्छा खेले और जब 48* पर थे तो उन्हें वापस बुला लिया- बाद में रिपोर्ट थी कि चूंकि कोई ख़ास स्कोर नहीं बनाया इसलिए नहीं चुना। उनकी जगह खालिद हसन को मिली- जो न सिर्फ कारदार की अपनी पसंद थे, टूर मैनेजर के भतीजे भी थे। बड़ा शोर हुआ तो रईस को पाकिस्तान इगलेट्स टीम के इंग्लैंड टूर पर भेजा- टूर में 49 विकेट लिए और कई जगह उनसे पूछा गया कि वे खालिद से कहीं बेहतर गेंदबाज हैं तो वे सीनियर टीम के टूर में क्यों नहीं थे?

1954/55 में पाकिस्तान का पहला भारत टूर। शुरू के टूर मैचों में 2 सेंचुरी और 14 विकेट। ढाका (पाकिस्तान की धरती पर पहला) टेस्ट शुरू होने से पहली रात कप्तान कारदार ने उनसे कहा कि रात को पूरा आराम करें- कल टेस्ट खेलना है। टेस्ट की सुबह उन्हें 12वां खिलाड़ी बना दिया। ये बड़ा रहस्य्मय मामला है- जिसका जवाब पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहासकार भी नहीं देते। टेस्ट की सुबह टीम में शामिल होने के लिए मकसूद अहमद नाम के खिलाड़ी पहुंच गए। वे कहां से आए, उन्हें किसने और कब बुलाया- कोई जवाब नहीं। बिना प्रेक्टिस वे टेस्ट खेले और रईस बाहर।

अक्टूबर 1955 में उन्होंने एक बार फिर सेलेक्टर्स को परेशानी में डाला। एक विशेष फ्लड रिलीफ मैच खेला गया जिसमें दो विदेशी कीथ मिलर और मुश्ताक अली भी खेले। रईस ने 129* बनाए और सभी ने उनकी तारीफ़ की। न्यूजीलैंड के विरुद्ध सीरीज के लिए टीम इसके बाद ही चुननी थी- रईस को नहीं, आगा सादत अली को चुन लिया।

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इसके बाद रईस की हिम्मत टूट गई। अब उनका ज्यादा ध्यान मुश्ताक और सादिक की क्रिकेट को बेहतर बनाने पर था। सवाल ये है कि रईस के साथ ऐसा क्यों हुआ? आम तौर पर ये कहा जाता है कि प्रभावशाली लाहौर लॉबी नहीं चाहती थी कि टीम में कराची के खिलाड़ियों की गिनती बढ़े। ये भी माना जाता है कि टीम में मोहम्मद भाइयों की गिनती कंट्रोल करने के चक्कर में वे फंस गए। सबसे बड़ी बात ये कि वे कभी प्रभावशाली अब्दुल हफीज कारदार की स्कीम में फिट नहीं बैठे। अमीर बी को आखिर तक ये कसक रही कि रईस कभी टेस्ट नहीं खेले।

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